साहिबगंज वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की गहन समझ और उसके फील्ड स्तर पर प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से साहिबगंज वन प्रमंडल के द्वारा 29 एवं 30 नवम्बर को मंडरो फ़ॉसिल पार्क में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रबल गर्ग के नेतृत्व में आयोजित किया गया. एवं प्रशिक्षण में संथाल परगना के विभिन्न जिलों से आए वनरक्षकों ने भाग लिया. जिसमें साहिबगंज वन प्रमंडल के सभी वनरक्षी कर्मियों के साथ-साथ संथाल परगना के जामताड़ा, गोड्डा, दुमका, पाकुड़ और देवघर जिलों के वनरक्षकों ने इस प्रशिक्षण में सक्रिय भागीदारी लिया. इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संथाल परगना के क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक डी. वेंकटेस्वरलु, आईएफएस रहे. उन्होंने उद्घाटन सत्र में वन्यजीवों की सुरक्षा को वन विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी बताते हुए फील्ड स्टाफ को अद्यतन कानूनी जानकारी और व्यावहारिक दक्षता विकसित करने पर जोर दिया. प्रशिक्षण का संचालन लद्दाख वन्यजीव बोर्ड के सदस्य एवं विषय विशेषज्ञ डॉ. आर. के. सिंह ने किया. दो दिनों की कार्यशाला में उन्होंने अधिनियम की धाराओं, अनुसूचियों, दंड प्रावधानों, अपराधों की श्रेणीकरण व्यवस्था तथा फील्ड में लागू होने वाली प्रक्रियाओं पर विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि अवैध शिकार एवं वन्यजीव तस्करी की रोकथाम, मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन तथा वन अपराधों की जांच में अधिनियम का सही उपयोग किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके साथ ही दस्तावेज़ीकरण, सूचना संकलन, पंचनामा, जब्ती सूची, साक्ष्यों के संरक्षण तथा केस डायरी तैयार करने जैसी प्रक्रियाओं पर भी विशेष प्रशिक्षण दिया गया.
इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य फील्ड स्टाफ को कानून आधारित कार्रवाई में सक्षम बनाना, वन्यजीव सुरक्षा की समझ बढ़ाना तथा अपराधियों को प्रभावी ढंग से कानून के दायरे में लाने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करना है.
कार्यक्रम के समापन समारोह में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए तथा अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि यह प्रशिक्षण वन्यजीव संरक्षण और वन अपराध नियंत्रण की दिशा में एक सशक्त कदम साबित होगा. मौके पर वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रबल गर्ग, वन क्षेत्र पदाधिकारी पंचमी दुबे सहित अन्य उपस्थित थे.

