राजमहल मॉडल कॉलेज में अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के अवसर पर एक जागरूकता विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रणजीत कुमार सिंह के दिशा-निर्देशन में तथा राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों एवं शिक्षकों में आपदा जोखिम के प्रति जागरूकता बढ़ाना और आपदाओं से बचाव हेतु समुचित तैयारी के महत्व को रेखांकित करना था। कार्यक्रम की शुरुआत वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं NSS कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रमजान अली के संबोधन से हुई। उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस का मुख्य उद्देश्य समाज में आपदाओं के प्रति जागरूकता फैलाना और उनके प्रभाव को कम करने के उपायों को अपनाना है। उन्होंने कहा आपदा कभी पूर्व सूचना देकर नहीं आती, लेकिन इसके जोखिमों को सावधानी, जागरूकता और उचित नियोजन के माध्यम से काफी हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि केवल राहत और पुनर्वास कार्य से आपदा प्रबंधन पूरा नहीं होता, बल्कि इसके लिए दीर्घकालिक रणनीति, नीतिगत समर्थन और जनसहभागिता आवश्यक है।
इसके बाद हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं NSS कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अमित कुमार ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति हमारे पर्यावरणीय असंतुलन का परिणाम है। उन्होंने कहा प्रकृति के साथ संतुलन बनाना ही आपदा जोखिम न्यूनीकरण का सबसे बड़ा उपाय है। जब तक हम पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीर नहीं होंगे, तब तक बाढ़, सूखा, भूकंप जैसी आपदाओं से पूर्णतः बच पाना संभव नहीं है। उन्होंने विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में छोटे-छोटे कदम उठाने का आह्वान किया।
अंग्रेजी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. विवेक कुमार महतो ने अपने वक्तव्य में प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ मानव जनित आपदाओं जैसे प्रदूषण, दुर्घटनाएँ, आग लगना, और तकनीकी विफलताओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मानवीय लापरवाही और असावधानी भी कई बार बड़ी आपदाओं का कारण बन जाती है। इसलिए जोखिमों को कम करने के लिए प्रत्येक नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
कार्यक्रम के दौरान प्राचार्य डॉ. रणजीत कुमार सिंह का विशेष संदेश भी विद्यार्थियों को सुनाया गया। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण केवल सरकारी एजेंसियों या संगठनों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने आस-पास के परिवेश को सुरक्षित बनाए रखने में योगदान दे। उन्होंने आगामी दीवाली और छठ पर्व को ध्यान में रखते हुए सभी विद्यार्थियों से अपील की कि गंगा तटों की स्वच्छता बनाए रखें, पटाखों के अति प्रयोग से बचें, और पर्यावरण अनुकूल तरीकों से पर्व मनाएं। एवं छोटी-छोटी सावधानियाँ ही बड़ी आपदाओं को टालने में सहायक होती हैं। मौके पर दर्जनों NSS स्वयंसेवक, अजय सोनी, शिक्षकगण, एवं कॉलेज कर्मी उपस्थित थे।