राजमहल जब पूरा विश्व 5 जून को पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ पौधारोपण के साथ पर्यावरण दिवस मना रहा था। उस समय झारखंड की हरियाली से आच्छादित इस धरती ने भी एक नई हरित गाथा रच दी। राजमहल मॉडल कॉलेज के प्राचार्य एवं पर्यावरणविद् डॉ. रंजीत कुमार सिंह को जल शक्ति मंत्रालय (NMCG) भारत सरकार व भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून भारत सरकार द्वारा पर्यावरण चैंपियन अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया। इस अफसर पर और भी गरिमामय बनाया जब विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड की सुदेशा देवी 85 वर्ष की जिन्हें चिपको आंदोलन की अंतिम सक्रिय कड़ी माना जाता है। उनके हाथों सम्मान प्राप्त करना अपने आप में एक ऐतिहासिक और प्रेरक क्षण माना जाता हैं। एवं ये पुरस्कार केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि संपूर्ण झारखंड राज्य के लिए गौरव और प्रेरणा का स्रोत है।
आपको बता दे की डॉ. रंजीत कुमार सिंह केवल एक शिक्षाविद् नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित एक सच्चे कर्मयोगी हैं। पर्यावरणीय शिक्षा को पुस्तकों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे छात्रों के व्यवहार और जीवनशैली में आत्मसात कराने का कार्य किया। उनके नेतृत्व में मॉडल कॉलेज राजमहल आज एक हरित परिसर के रूप में स्थापित हो चुका है। जहाँ हर पौधा एक संदेश देता है और हर छात्र पर्यावरण का प्रहरी बनता है. जिसमें कई औषधीय पौधे भी लगाया गया है।
इस दौरान डॉक्टर रंजीत कुमार सिंह ने पुरस्कार लेने के बाद संबोधन में बताया कि यह पुरस्कार मेरे लिए केवल सम्मान नहीं, बल्कि एक नई जिम्मेदारी है। हमें धरती से मिला हर उपहार स्वच्छ हवा, निर्मल जल और हरियाली लौटाना होगा। यह केवल सरकारों की नहीं, हम सबकी साझा जिम्मेदारी है. आइए, एक पौधा लगाकर शुरुआत करें और प्लास्टिक को ना कहें। आज पर्यावरण दिवस 150 से अधिक देशों में पर्यावरण चेतना का वैश्विक पर्व बन चुका है।
हर वर्ष लगभग पांच मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है। इनमें से 11 मिलियन टन प्लास्टिक महासागरों में चला जाता है। हम प्रतिदिन औसतन 5 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक निगल रहे हैं। यदि यही स्थिति रही तो 2050 तक महासागरों में मछलियों से अधिक प्लास्टिक हो सकता है। ये आँकड़े केवल पर्यावरण संकट नहीं, बल्कि स्वास्थ्य आपदा की चेतावनी भी हैं.
हर व्यक्ति एक पर्यावरण योद्धा बन सकता है।
विश्व पर्यावरण दिवस केवल एक तारीख नहीं, एक दिशा है।